भूख हड़ताल पर छात्र , बेफिक्र व्यवस्था

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अनंत

पटना विश्वविद्यालय में 15 अगस्त के अवसर पर कुछ यूॅ मना आजादी का जश्न। विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति शंभुनाथ सिंह द्वारा मनाया गया जश्न ए आजादी उनकी संवेदनहीनता का प्रतीक बन गया। वे विश्वविद्यालय आये और झंडोतोलन किया फिर चल पड़े जश्न ए आजादी मनाने। उनकी नजरंे आमरण अनशन पर बैठे छात्रों पर नहीं पड़ी। छात्रों के पीले पड़ रहे चेहरे ने उनके दिल को नही झकझोरा, नौ दिनों से भूख की वजह से बेहाल अवस्था में पड़े छात्रों को देख उनके आंखों से आंसू नहीं छलके। अन्न-जल त्याग कर अस्पताल भर्ती हो रहे छात्रों की सुचना मिलने के बाद दिमाग में शोर नहीं मचा। क्या यह आजादी सचमुच में झुठी नहीं है ? इस सवाल पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी कहते हैं ‘‘ कुलपति द्वारा छात्रों से बातचीत नहीं करना उनकी संवेदनहीनता का परिचायक है। आजादी के दिन छात्रों का भूख हड़ताल पर जमंे रहना दुःखद घटना है। मै इसकी निन्दा करता हूॅ।’’
ताज्जुब की बात तो यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन तो मौन है ही, राजभवन भी मौन है , कालेधन के मुदे पर अनशन कर रहे रामदेव की गिरफतारी पर त्वरित टिप्पणी करने वाले संवेदनशील मुख्यमंत्री नीतिश कुमार भी मौन है। सूबे की कारपोरेटिया कल्चर की पत्रकारिता भी इस मुदे को अहमियत नहीं दे रही। भूख हड़ताल पर बैठे एआईएसएफ के राज्य सचिव विश्वजीत कहते है कि – ‘‘ कहीं मौन न हो जाये छात्रों की संवेदना इसलिये हम भूखे ही अनशन पर बैठे रहेगें। सता की चाश्नी में डुबे जलेबी खाकर कुलपति जश्न मनायें , हम लोग नौ दिनों से भूखे हैं , जश्ने ए आजादी के दिन भी भूखे रहेगे , हम बहायेगें आंसू उनकी जश्न ए आजादी के अंदाज पर। पटना विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों की बदहाली को देखकर यही कहा जा सकता है कि:-
कभी अंग्रेज , कभी कंग्रेज
कभी कुशासन , कभी सुशासन
नहीं आया जनता का शासन
कहने को जनतंत्र यहां है
जन पर हावी तंत्र यहां है।
जनता पर तंत्र का हावी होने का जीवंत प्रमाण है पटना विश्वविद्यालय का वर्तमान परिदृश्य । बताते चले कि पटना कालेज के प्राचार्य की बर्खास्तगी , छात्रों पर किये गये फर्जी मुकदमें की वापसी , पुरानी व्यवस्था के तहत छात्रावास का आवंटन , पेयजल एवं आधारभूत सुविधाओं की बहाली , छात्रावास के अंदर पत्र-पत्रिका एवं मेस की व्यवस्था , एवं पटना कालेज छात्रों की बढ़ती संख्या के को देखते हुये छात्रावासों की संख्या बढ़ाने आदि के मांगों के लेकर एआईएसएफ के छात्र पिछले एक महीना से आन्दोलन कर रहे थे। बातचीत से समस्या का समाधान नहीं निकलने पर छात्रों ने अंततः आमरण अनशन करने का फैसला लिया। पिछले नौ दिनों से आमरण अनशन पर बैठे छात्रों को आजादी के 65 वीं वर्षगांठ के अवसर पर भी न्याय मिलने आस थी। दरअसल अनशनकारी पिछले नौ दिनों से कुलपति का बाट जो रहे थे। कुलपति आज विश्वविद्यालय आये और झंडोतोलन कर छात्रों से बातचीत किये बगैर लौट गये। इस मुदे पर बात करने के लिये पटना विश्वविद्यालय के कुलपति शंभुनाथ सिंह से बात करने हेतु फोन किया गया लेकिन उन्होने अपना फोन नहीं उठाया। यहां उल्लेखनीय है कि कुलपति पर भी कई तरह के आरोप लग रहे है। कुलपति पद के योग्यता और अयोग्यता का मामला जहां पटना हाईकोर्ट में है। वहीं दुसरी ओर राज्य सरकार कुलपति पर विजलेंस जांच का आदेश भी दे दिया है।
इस बीच अनशनकारी छात्रों की हालत बिगड़ती जा रही है। भूख हड़ताल पर डटे छात्रों के चेहरे पीले पड़ते जा रहे हैं। विद्यासागर और पिं्रस नामक छात्र की हालत खराब होने की स्थिति में उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। प्रिंस अस्पताल से लौटकर पुनः धरनास्थल पर डट गये हैं। वहीं विद्यासागर का ईलाज अस्पताल में चल रहा है। भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों में रजनीश , रवि , ओम प्रकाश की हालात लगातार बिगड़ती जा रही। इन छात्रों को कभी भी अस्पताल में ईलाज कराने की आवश्यकता पड़ सकती है। अंतिम समाचार मिलने तक चार छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है। छात्र नेता गौरव ने बताया कि संस्कार नामक छात्र की हालत काफी नाजुक है। उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है।
भूख के कारण छात्रों की बिगड़ती स्थिति देख उनके साथी आक्रोशित हो उठे हैं। पिछले दो दिनों से छात्र अशोक राजपथ को दिन भर जाम कर रहे हैं। सड़क पर टायर जलाये जा रहे हैं। फिर भी इनकी सुध लेने अब तक कोई नहीं आया है।  एआईएसएफ से जुड़े छात्र सुशील कुमार कहते हैं कि -‘‘ छात्रों ने जब आमरण अनशन करने फैसला किया तो कुलपति शंभुनाथ सिंह पटना छोड़कर फरार हो गये। 15 अगस्त के अवसर पर झंडोतोलन करने हेतु 14 अगस्त की शाम वे पटना लौटे। छात्रों का जत्था उनके आवास पर घंटों जमे रहे लेकिन छात्रों से बातचीत करना मुनासिब नहीं समझा। कुलपति आज विश्वविद्यालय आये और झंडोतोलन कर चलते बने और छात्रों को भूखे मरने के लिये छोड़ दिया।’’ तमाम छात्र सवाल उठा रहे हैं कि यह कैसी आजादी है और कैसा देश का लोकतंत्र।
बहरहाल छात्रों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। भूखे प्यासे छात्रों का आक्रोश कम नहीं किया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है। वैसे भी विश्वविद्यालय का सारा काम-काज ठप्प है।
लेखक परिचय:- लेखक स्वतंत्र पत्रकार सह शोधार्थी हैं और www.phanishwarnathrenu.com के मॉडरेटर हैं।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

4 COMMENTS

  1. कुलपति महोदय खुद को महान पत्रकार के रूप में पेश करते हें .जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय की वामपंथी धारा के आत्मघोषित पहरुए शम्भुनाथ सिंह ने पटना में वामपंथी छात्र संगठनो के संयुक्त मोर्चे की जिस तरह उपेक्षा की है और कामरेड छात्र नेताओं को लगातार फर्जी -मनगढ़ंत मुकदमों में फंसाने का जिस तरह का अभियान चलाया है, आप इन्हें दमननाथ सिंह कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. आन्दोलन को तवज्जो देने के लिए रविवार परिवार को शुक्रिया .

  2. युवा पत्रकार अनंत को धन्यवाद , जहा एक ओर पटना के पत्रकार बीके हुए है वही आपने अत्यंत ही संवेदनशीलता से उठाया , काबिले तारीफ है, रविवार परिवार को भी कोटि कोटि धन्यवाद

  3. कुलपति महोदय खुद को महान पत्रकार के रूप में पेश करते हें .जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय की वामपंथी धारा के आत्मघोषित पहरुए शम्भुनाथ सिंह ने पटना में वामपंथी छात्र संगठनो के संयुक्त मोर्चे की जिस तरह उपेक्षा की है और कामरेड छात्र नेताओं को लगातार फर्जी -मनगढ़ंत मुकदमों में फंसाने का जिस तरह का अभियान चलाया है, आप इन्हें दमननाथ सिंह कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. आन्दोलन को तवज्जो देने के लिए रविवार परिवार को शुक्रिया .

  4. 12 DINO K bhukh hartal k badh bhari jan dabab k badh chhato ki bat mani gayi, ab hostel k sthiti jald sudh regi aur prasan m chhato kibhagidari hogi

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