नोटिस बोर्ड

माले के पूर्व महासचिव विनोद मिश्र की स्मृति में संकल्प सभा का आयोजन

पटना। भाकपा-माले के पूर्व महासचिव का.विनोद मिश्र के 24 वें स्मृति दिवस पर पूरे राज्य में संकल्प सभा का आयोजन किया गया और पार्टी की केंद्रीय कमिटी की ओर से जारी संकल्प सभा का पाठ किया गया। राजधानी पटना स्थित राज्य कार्यालय में विनोद मिश्र को श्रद्धांजलि दी गई।

इस मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेता राजाराम, समकालीन लोकयुद्ध के संपादक संतोष सहर, प्रदीप झा, संतलाल, कुमार परवेज, संतोष झा, समता राय, विभा गुप्ता, विश्वमोहन कुमार, रिया आदि उपस्थित थे।
वक्ताओं ने इस मौके पर कहा कि कामरेड विनोद मिश्र आज होते तो ऐतिहासिक किसान आंदोलन को फासिस्ट विरोधी आंदोलन में तब्दील होते देख बहुत खुश होते।
फासीवादी ताकतों को परास्त करने के लिए यह संकल्प लेने का वक्त है। किसान आंदोलन में यह ताकत दिखी कि यह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को खत्म कर सके और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे लोगों में आत्मविश्वास पैदा कर सके। पंजाब और उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण चुनाव से पहले तीनों कानूनों को रद्द करने के बावजूद सरकार किसान आंदोलन के साथ कोई समझौता करने से इंकार कर रही है। खेती कानूनों को वापस लेने का बिल ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की आड़ में लाया गया है और दिखाने की कोशिश की जा रही है कि सरकार ने विरोध कर रहे किसानों को खुश करने के लिए ये कदम उठाया है। लेकिन दंभ और धोखाधड़ी वाले प्रचार के जरिये इस बात को छिपाया नहीं जा सकता कि सरकार को किसानों के सामने मुंह की खानी पड़ी है।

आंदोलन की सफलता का कारण लाखों किसानों की सतत और व्यवस्थित गोलबंदी है। किसानों के आंदोलन की ऐतिहासिक जीत से प्रेरणा लेकर आगे हमें व्यापक संगठन निर्माण और राजनीतिक गोलबंदी की दिशा में बढ़ना है।खेती कानूनों को समाप्त करने की घोषणा के एक हफ्ते बाद 26 नवंबर को संविधान को स्वीकार किए जाने के दिन मोदी जी ने संविधान की मूल भावना को ही उलट देने की कोशिश की। संविधान की प्रस्तावना में किए गए वायदे और मूल अधिकार लोकप्रिय जनसंघर्षों का तर्क बन जाते हैं। इनसे डरी हुई मोदी सरकार ने मूलअधिकारों को कर्तव्यों के मातहत लाने के जरिये संविधान को सिर के बल खड़ा कर देने की कोशिश की।

editor

सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button