नीतीश सरकार की नासमझी से जल उठा बिहार

मुंगेर में जिला मुख्यालय स्थित जिला स्कूल केंद्र पर हो रहे शिक्षक पात्रता परीक्षा फार्म की बिक्री के दौरान अभ्यर्थियों ने जमकर बवाल काटा। आक्रोशित अभ्यर्थियों ने फार्म बिक्री केंद्र पर पथराव किया, जिससे केंद्र पर अफरातफरी मच गयी। पथराव के दौरान लगभग आधा दर्जन अभ्यर्थी घायल हो गये और विद्यालय की कई खिड़कियों के शीशे टूट गये । इसी तरह का हाल मुजफ्फरपुर का भी रहा। वहां भी दर्जनों छात्र डीईओ ऑफिस पहुंच गए। फॉर्म वितरण को लेकर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिये। कमोबेश यही स्थिति जमुई की भी रही। यहां भी शिक्षक पात्रता परीक्षा का

फार्म मिलने में अनियमितता और ड्राफ्ट बनाने में अभ्यर्थियों को हुई परेशानी का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा। करीब चार घंटे तक जमुई शहर आक्रोशित अभ्यर्थियों का बंधक बना रहा। अब जो प्रश्न उभरता है कि आखिर ये सब हो क्या रहा है और क्या इस पूरी प्रक्रिया को शांति से भी करवायी जा सकती थी

या नहीं ? एक ही जवाब है कि बिहार के विकास गीत गुनगुनाते सरकार और उसके विभाग अगर थोड़ी सी समझदारी दिखाते तो इस तरह की नौबत कभी नहीं आती। प्रारंभिक शिक्षक पात्रता परीक्षा फार्म मिलने में जिन कठिनाईयों या यूं कह ले की कुव्यवस्था का सामना अभ्यर्थियों को करना पड़ा है, ये सरासर सरकार द्वारा की गई बदइंतजामी का नतीजा है । आज सूचना युग के दौर में विभिन्न उच्चस्तरीय माध्यमों के होते हुए भी, कोई परीक्षा फार्म केवल चुने हुए कुछ जगहों से अगर मिलता हो, तो यह सरकारी मानसिकता समझ के परे है । अभ्यर्थियों को घंटों कतार मे खडे रहकर इस भीषण गर्मी में जो परेशानी हुई है, और इसके बाद कई तरह से और भी जो समस्याएं उठी हैं वो सरकार के लिए आने वाले दिनों मे एक बडा सरदर्द साबित होने जा रही है। पथराव, गाली-गलौज, हंगामा और उस पर से फार्म लेने गई महिलाओं को चोट लगना, इस तरह की गतिविधियां सरकारी नीति निर्धारकों को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है। कहीं शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय को फूंका गया तो और कहीं एसबीआई की शाखा में तोड़फोड़ की गई। कहीं नारेबाजी के बीच छात्रों द्वारा एसबीआई की शाखा और एटीएम पर धावा बोला गया। और तो और वहां तैनान होमगार्ड के जवानों द्वारा इन सब पर नियंत्रन करने के लिए राइफल तान दी गई। डीईओ कार्यालय रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। सुशासन के दौर में इस तरह से आम जनता को विपत्ति में डालना कहीं न कहीं

इस बात को दर्शा रहा है कि वाकई नीतीश सरकार भी अब फिल-गुड वाली स्थिति में आ चली है । “हमे कुछ और नहीं बस विशेष राज्य का दर्जा चाहिए” कहकर मुख्यमंत्री अपनी बात बड़ी मजबूती से रखते है पर वहीं उनके राज्य की जनता

खराब प्रशासनिक व्यवस्था का शिकार बन रही है। उत्पाती छात्रों द्वारा उत्पात मचाया जा रहा है, मगर इसके चपेटे मे आम जन तथा सरकारी तंत्र भी आ जा रहे है । ये सब बिना इन उत्पातों के भी हो सकता था। ये कहा जाता रहा है कि व्यवस्था मस्तिष्क की पवित्रता है , शरीर का स्वास्थ्य है, शहर की शांति है, देश की सुरक्षा है । जो सम्बन्ध धरन ( बीम ) का घर से है , या हड्डी का शरीर से है, वही सम्बन्ध व्यवस्था का सब चीजों से है । और इसी व्यवस्था की कमी और अदूरदर्शीता ने सारा काम बिगाड़ रखा है । अच्छा तो यही होता की सरकार इस फार्म को प्राप्त करने के स्थानों को बढ़ाती और साथ ही साथ आनलाइन फार्म मिलने एवं भरने की व्यवस्था भी कराती । अगर समय रहते कुछ इस तरह के कदम नहीं उठाये गये तो निश्चित तौर पर इस प्रारंभिक शिक्षक पात्रता परीक्षा फार्म के चक्कर मे कई लोगों की जान पर आफत बन पड़ेगी । सरकार समझे की प्रस्तुत उलझनें और दुष्प्रवृत्तियाँ कहीं

आसन से नहीं टपकीं,  बल्कि ये उनकी अपनी उगाई और बढ़ाई हुई हैं। और अपनी गलती स्वीकार कर लेने में लज्जा की कोई बात नहीं है, हां इससे दूसरे शब्दों में यही प्रमाणित होता है कि कल की अपेक्षा आज आप अधिक समझदार हैं।

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