राहुल गांधी : अमूल बेबी या कांग्रेस के अभिमन्यु ?

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भाजपा ने कभी राहुल गांधी को अमूल बेबी कहा था। कांग्रेस द्वारा मिशन 2014 के लिए कांग्रेस समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने उन्हें शादी का दुल्हा बताया है, वैसा युवा जिसे ठेल-ठेल कर आगे बढ़ाया जाता है। वैसे कांग्रेस की नजर में राहुल 2014 के चुनावी चक्रव्यूह के अभिमन्यु हैं। ऐसा अभिमन्यु जो राजनैतिक विरोधियों द्वारा बनाये जाने वाले चक्रव्यूह को अवश्य भेदने में सफल होंगे। राजनैतिक टीका- टिप्पणियों के बीच यह सवाल भी उठने लगा है कि महाभारत का अभिमन्यु तो चक्रव्यूह भेदने में असफल रहा था तो कांग्रेस का अभिमन्यु 2014 का चुनावी चक्रव्यूह भेद पायेगा ? वैसे राजनैतिक टीकाकार कांग्रेस समन्वय समिति के अध्यक्ष पद को चुनाव मैनेजर के रूप में देखते हैं। कांग्रेस की इस रणनीति के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं और कांग्रेस समर्थक इसे पार्टी का नया संदेश मान रहे हैं।
दरअसल देश में युवाओं की आबादी 40 प्रतिशत के आसपास है। सरकार बनाने में इनकी अहम भूमिका होगी। अगले 20 वर्षों तक देश के युवा ही जनतंत्र के केन्द्र में होगें। युवा जनता वोटर के रूप में रहेगें। कांग्रेस ने युवा वोटरों को लुभाने के ख्याल से राहुल को आगामी चुनावी महासमर के केन्द्र में रखने की रणनीति बनाई है। वैसे कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं की लंबे समय से राहुल गांधी को केन्द्र में रखकर राजनीति करने की मांग रही थी। सनद रहे कि कांग्रेस ने यू0 पी0 चुनाव में मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव के समानान्तर खड़ा किया था। लेकिन उतर प्रदेश के चुनाव में राहुल फ्लाप साबित हुये थे। भाजपा एम एल सी राम किशोर सिंह कहते है कि देश देशज युवा को पसंद करती है न कि किताब पढ़कर भारत को समझने वाले युवा को, यह बात यूपी चुनाव में ही यह साबित हो चुका है। 2014 के चुनाव के मद्देनजर राहुल को सामने लाने का कोई फायदा नहीं मिलने वाला। वहीं कांग्रेस नेता धीरज जी बताते हैं कि यूपी  चुनाव में राहुल गांधी का ही करिश्मा था कि कांग्रेस का वोट 4 प्रतिशत बढ़ा था। इसलिए राहुल जी के पक्ष में आगामी चुनाव में देश के युवा अपार समर्थन देगें। इस बीच एक टीवी चैनल ने जनता से ‘‘ क्या राहुल गांधी कांग्रेस की नैया पार कर पाएगें।‘‘ इस पर राय मांगी। 40 प्रतिशत जनता की राय थी हां में, तो 60 प्रतिशत जनता की राय में ना।

बहरहाल 2014 में राहुल क्या रंग दिखाएगें,  इसपर भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल है।  वैसे कांग्रेस के इस नई चाल में भी कई पेंच हैं। जो कांग्रेस के लिए परेशानियों का सबब बन सकता है। इस पेंच का सीधा रिश्ता बिहार की राजनीति से जुड़ता है। दरअसल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गठित समन्वय समिति में राहुल के अलावा सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी, दिग्विजय सिंह, मधुसूदन मिस्त्री और ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को भी शामिल किया गया है। राहुल गांधी को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए कांग्रेस ने पुख्ता इंतजाम किया है। राहुल गांधी के साथ कई बुजुर्ग और पॉलिटिक्स के माहिर खिलाड़ी सिपहासलार के रूप में रखे गये है। वैसे काग्रेसी इसे कांग्रेसी परंपरा  का  हवाला देते हुये कहते हैं कि संजय गांधी और राजीव गांधी को भी जब काग्रेस में विशेष महत्व दिया गया था तब उनके साथ कई बुजुर्ग कांग्रेसी थें। सीपीएम नेता सर्वोदय शर्मा कांग्रेस के इस रणनीति की तुलना मुगल वंश के कार्यकलाप से करते हैं। कहते हैं कि मुगल वंश में जैसे बाबर उसके बाद हुमायु फिर अकबर एवं अन्य पीढ़ियों ने राज किया। उसी तरह कांग्रेस में पंडित नेहरू,  इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अब राहुल गांधी देश के सामने है। श्री शर्मा साथ में यह भी जोड़ते हैं कि राहुल गांधी वो राजनैतिक कद नहीं जिसपर कोई टिप्पणी की जाए। वहीं दूसरी ओर राजद में खुशी का माहौल है। वैसे राहुल एकला चलो के सिद्धांत पर चलने के पक्षधर हैं। अगर राहुल का हुक्म चला तो राजद के लिए बुरी खबर हो सकती है। कांग्रेस की तमाम खामियों पर लालू प्रसाद द्वारा पर्दा डालने का कोई फायदा नहीं मिलेगा। वहीं कई तरह के राजनैतिक चक्कर में फंस सकते हैं। लेकिन समिति के कई सदस्य बिहार में राजद से गठबंधन रखने के पक्षधर है। यह राजद के लिए राहत की सांस लेने वाली बात है। राजद नेता राजनीति प्रसाद मानते हैं कि राजद का कांग्रेस के साथ गठबंधन जारी रहेगा।

1 COMMENT

  1. very analytical report, es report may aapki paini drishti dikhti hai, aapne katachh v kiya hai or sabhi pachho ko rakhi hai, maje journalist ki tarah pure tasvir ko rakhi hai bahut badhayee.

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