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10 मई को होगा भोजपुरी फिल्म “भौउजी हमार घर पे बाड़ी” का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर

भोजपुरी सिनेमा प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। वर्ल्ड वाइड प्रोडक्शंस की प्रस्तुति, बहुप्रतीक्षित फिल्म “भौउजी हमार घर पे बाड़ी” का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर 10 मई, शनिवार को लोकप्रिय टीवी चैनल भोजपुरी सिनेमा पर शाम 6 बजे से होने जा रहा है। इसके अलावा, दर्शक इस फिल्म को 11 मई, रविवार को सुबह 10 बजे से भी अपने परिवार संग देख सकेंगे।

यह फिल्म पूरी तरह से पारिवारिक मूल्यों, रिश्तों और सामाजिक समरसता पर आधारित है, जो हर वर्ग के दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ेगी। फिल्म में रिंकू घोष, गौरव झा, संचिता बनर्जी, रक्षा गुप्ता, देव सिंह, राकेश बाबू, श्वेता वर्मा, रिंकू भारती और के.के. गोस्वामी जैसे बेहतरीन कलाकारों ने अपने अभिनय से फिल्म को खास बना दिया है।

फिल्म के निर्माता प्रदीप सिंह, विनय सिंह, मोनिका सिंह और प्रतीक सिंह ने दर्शकों से फिल्म को परिवार के साथ देखने की अपील की है और इसे भोजपुरी दर्शकों के लिए एक खास तोहफा बताया। निर्देशक अजय कुमार झा ने फिल्म को सामाजिक सन्देश से भरपूर बताया और कहा कि यह फिल्म हर उम्र के दर्शकों को पसंद आएगी। फिल्म में रिंकू घोष की भूमिका विशेष रूप से दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है। उन्होंने भी सभी दर्शकों से फिल्म देखने की अपील करते हुए कहा कि यह फिल्म उन्हें ज़रूर छू जाएगी।

फिल्म में अतिथि भूमिकाओं में सोनिया मिश्रा, पारुल प्रिया, संजू सोलंकी, अंशू तिवारी, विद्या सिंह, सुजीत सार्थक, अशोक गुप्ता, रिंकू यादव, अरबिंद तिवारी, और अभय सिंह नजर आएंगे। फिल्म के लेखक अरबिंद तिवारी, संगीतकार ओम झा, गीतकार अरबिंद तिवारी, छायांकन मनोज कुमार सिंह, और संकलन धरम सोनी द्वारा किया गया है। फिल्म के नृत्य निर्देशन में कानू मुखर्जी, कला निर्देशन में रणधीर एन. दास, वेशभूषा में विद्या-विष्णु की अहम भूमिका रही है। इस बहुआयामी टीम के सहयोग से तैयार यह फिल्म एक यादगार पारिवारिक अनुभव बनने जा रही है।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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