वह आज भी जागता है. . . !
............................................उस जुलाहे के शब्द अब भी समय को कात रहे हैं। उसकी आवाज़ में न जाने कितने दिमागों को रोशन किया। वह ज्ञानी नहीं...
‘अगले जनम मुझे बाबू ही कीजो‘
मनोज लिमये,
वर्तमान समय में बाबुओं के घर से हड़प्पा-मोहन जोदडो की तर्ज पर लगातार मिल रही चल-अचल संपत्ति मेरे लघु मस्तिष्क पर हावी होती...
पारंपरिक गीतों से दूर हो रही होली…!
“धन्य-धन्य भाग तोहर हउ रे नउनियां....मड़वा में राम जी के छू अले चरणियां...”
ढोल मंजीरे की थाप पर होली गीतों के गायन की शुरूआत...
सूरज प्रकाश: अपनी बात (पार्ट – 1)
बहुत सारे बिम्ब हैं। स्मृतियां हैं। दंश हैं। बहुत सारी खुशियां हैं। बहुत कुछ ऐसा है जो अब तक किसी से बांटा नहीं है।...
बलात्कार क्यों… कौन… और किसलिए ?
अरविन्द कुमार पप्पू //
यूं तो मेरा इस विषय पर विचार, शोध और जानकारी निश्चित रूप से
विवादित, हास्यास्पद एवं मूर्खतापूर्ण ही लगेगा और यह मैं...