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Saturday, April 20, 2024

वह आज भी जागता है. . . !

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............................................उस जुलाहे के शब्द अब भी समय को कात रहे हैं। उसकी आवाज़ में न जाने कितने  दिमागों को रोशन किया। वह ज्ञानी नहीं...

‘अगले जनम मुझे बाबू ही कीजो‘

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मनोज लिमये, वर्तमान समय में बाबुओं के घर से हड़प्पा-मोहन जोदडो की तर्ज पर लगातार मिल रही चल-अचल संपत्ति मेरे लघु मस्तिष्क पर हावी होती...

पारंपरिक गीतों से दूर हो रही होली…!

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“धन्य-धन्य भाग तोहर हउ रे नउनियां....मड़वा में राम जी के छू अले चरणियां...” ढोल मंजीरे की थाप पर होली गीतों के गायन की शुरूआत...

सूरज प्रकाश: अपनी बात (पार्ट – 1)

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बहुत  सारे बिम्ब हैं। स्मृतियां हैं। दंश हैं। बहुत सारी खुशियां हैं।  बहुत कुछ ऐसा है जो अब तक किसी से बांटा नहीं है।...

बलात्कार क्यों… कौन… और किसलिए ?

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अरविन्द कुमार पप्पू // यूं तो मेरा इस विषय पर विचार, शोध और जानकारी निश्चित रूप से विवादित, हास्यास्पद एवं मूर्खतापूर्ण ही लगेगा और यह मैं...