गुहा…भागवत और डीडी
संजय मिश्र
उम्मीद नहीं थी कि इतिहासकार राम चन्द्र गुहा आरएसएस की खिलाफत के लिए इतना कमजोर दांव खेलेंगे.... उन्हें दूरदर्शन पर मोहन...
सपनों के व्याकरण को समझने की मेरी ललक
अचानक आपकी नींद टूट जाती है और चाह कर कर यह याद नहीं कर पाते हैं सपने में आप क्या देख रहे थे हालांकि...
पटना की हवा और कुछ कमीने दोस्त
पटना की हवा मुझे हमेशा से अच्छी लगी है, सारे कमीने दोस्त मेरे यहीं रहते हैं, जिनके साथ अव्वल दर्जे की लुच्चई में मैं...
वह आज भी जागता है. . . !
............................................उस जुलाहे के शब्द अब भी समय को कात रहे हैं। उसकी आवाज़ में न जाने कितने दिमागों को रोशन किया। वह ज्ञानी नहीं...
‘अगले जनम मुझे बाबू ही कीजो‘
मनोज लिमये,
वर्तमान समय में बाबुओं के घर से हड़प्पा-मोहन जोदडो की तर्ज पर लगातार मिल रही चल-अचल संपत्ति मेरे लघु मस्तिष्क पर हावी होती...