अंदाजे बयां
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‘अगले जनम मुझे बाबू ही कीजो‘
मनोज लिमये, वर्तमान समय में बाबुओं के घर से हड़प्पा-मोहन जोदडो की तर्ज पर लगातार मिल रही चल-अचल संपत्ति मेरे…
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पारंपरिक गीतों से दूर हो रही होली…!
“धन्य-धन्य भाग तोहर हउ रे नउनियां….मड़वा में राम जी के छू अले चरणियां…” ढोल मंजीरे की थाप पर होली गीतों…
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सूरज प्रकाश: अपनी बात (पार्ट – 1)
बहुत सारे बिम्ब हैं। स्मृतियां हैं। दंश हैं। बहुत सारी खुशियां हैं। बहुत कुछ ऐसा है जो अब तक किसी…
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बलात्कार क्यों… कौन… और किसलिए ?
अरविन्द कुमार पप्पू // यूं तो मेरा इस विषय पर विचार, शोध और जानकारी निश्चित रूप से विवादित, हास्यास्पद एवं…
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अनमोल होते हैं भाई-बहन के रिश्ते
वीरेन्द्र कुमार// कुछ रिश्ते विरासत में मिलते हैं जो जन्म से निर्रधारित होते हैं, कुछ रिश्ते बनाये जाते हैं पर…
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कनवा के बिना रहा ना जाये – कनवा का देखे मूढ़ पिराये
:भरत तिवारी “शजर”// और यही हाल है फेसबुक का | एक समय था कि लोग रोज कसम खाते थे, कि…
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क्या विज्ञान और तकनीक ने हमें स्वतंत्र कर दिया ?
सुनील दत्ता // पिछले कुल 100 वर्षो में हुए आविष्कारों ने हमारे जीवनशैलियों को पूरी तरह रूपांतरित कर दिया। वर्षो…
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परिवर्तन के लिए सपने देखना है जरूरी : विभूति नारायण राय
अमित विश्वास// कवि सम्मेलन ने लोगों का मन मोहा सहरसा, 08 नवम्बर, 2012; कला, संस्कृति तथा साहित्य संस्थान, बटोही द्वारा कला ग्राम, सहरसा में आयोजित दो…
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नये साल पर ‘बेवफा सनम’ हुआ मौसम !
नव वर्ष 2012 के पहले ही दिन तापमान में भारी गिरावट और हल्की बूंदा-बांदी के बीच मौसम ने लोगों…
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जिय रजा कासी !
काशीनाथ सिंह का उपन्यास अपना मोर्चा जब पढा था तब पढता था और उस का ज्वान उन दिनों रह रह…
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