पसीने छूट रहे हैं महंगाई से
महंगाई डायन ने पहले से ही लोगों की कमर तोड़ रखी है। दैनिक उपभोग की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर से पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष प्रभाव लोगों की जेब पर ही पड़ने वाला है। महंगाई की मार से पहले से ही लोगों के पसीने छूट रहे हैं, पेट्रोल की कीमतों में तो जैसे आग लगी हुई है। महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार लगातार बैठकें कर रही हैं, लेकिन इनके नतीजे ढाक के तीन पात ही साबित हो रहे हैं। पेट्रोल के भाव जिस तरह से उछल रहे हैं उसे देखते हुये यही कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में महंगाई से राहत नहीं मिलने वाला है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 92 डालर प्रति बैरल की वृद्धि के बाद से ही केंद्र सरकार के ऊपर भारत में भी तेल की कीमतों में वृद्दि करने का दबाव बढ़ रहा था। तेल कंपनियों ने शनिवार को आधी रात से पेट्रोल के दाम 2.50 से 2.54 रुपये लीटर तक बढ़ा दिए। पेट्रोल की कीमतों में लगातार वृद्दि हो रही है। पिछले 21 साल में पेट्रोल के दाम सात गुना से ज्यादा बढ़ चुके हैं। अप्रैल 1989 में पेट्रोल के दाम 8.50 रुपये थे, जो 10 साल बाद फरवरी 1999 में बढ़कर 23.80 रुपये हो गए। इसके बाद कीमतें लगातार बढ़ती रहीं और अक्टूबर 2009 में 44.72 रुपये तक पहुंच गईं। पेट्रोल की कीमतों में लगी आग से लोग खासे गुस्से में भी है। और इसके लिए सीधे केंद्र सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं.
आर्थिक उदारीकरण की राह पर केंद्र सरकार काफी आगे निकल चुकी है. इसी के तहत पिछले साल जून में पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त किया गया था। अब तेल कंपनियां पेट्रोल की कीमतें संशोधित करने से पहले पेट्रोलियम मंत्रालय से औपचारिक सलाह मात्र लेती हैं। यानि मामला स्पष्ट है कि तेल की कीमतों पर अब सरकार का जोर नहीं रहा। कच्चे तेल को लेकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाले उठा पटक के आधार पर तेल कंपनियां तेलों की कीमत खुद तय करेंगी। इसके लिए आम लोग सरकार को खूब कोस रहे हैं.
पेट्रोल में वृद्धि की खबर जैसे पटना के लोगों को मिली वैसे ही यहां के पेट्रोल पंपों पर वाहनचालकों की भीड़ लगने लगी। राजधानी के तमाम पेट्रोल पंपों पर धक्का-मुक्की की स्थिति थी। लोग अपने वाहनों की टंकी फूल कराने में जुटे हुये थे। पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि का असर अन्य वस्तुओं पर भी पड़ेगा। प्याज की कीमतों में हो रही वृद्धि ने पहले से लोगों के भोजन के स्वाद को फीका कर दिया है और अब पेट्रोल की कीमतों में आग लगी हुई है। इससे लोगों के घरों का बजट बुरी तरह से बिगड़ने वाला है। बढ़ती महंगाई के कारण पहले से ही लोगों के माथे पर बल पड़ा हुआ है। अब पेट्रोल की कीमतों में वृद्दि कोढ़ में खाज का काम कर रही है। लोगों को अहसास होने लगा है कि ऐसी स्थिति में उनका जीना मुहाल हो रहा है. अगर यही स्थिति बनी रही तो उनके लिए घर और परिवार भी चलाना भी मुश्किल हो जाएगा।
पेट्रोल की मार का सबसे बुरा असर आटो रिक्शा के किराये पर पड़ने वाला है. आटो चालकों में अभी से इसे लेकर खलबलाहट है। आटो चालकों को यही लग रहा है कि जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है उसमें आटो चलाकर अपने परिवार का पालन करना मुश्किल है। रोजगार के दूसरे विकल्प पर भी ये लोग विचार कर रहे हैं। पेट्रोल की कीमतों में हो रही वृद्धि को देखते हुये आटो चालक पटना में भी विकल्प के तौर पर सीएनजी की मांग कर रहे हैं। बढ़ती मंहगाई में आटो मालिक को किराया देने के बाद उन्हें अपने और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में भी पसीने छूट रहे हैं. फिलहाल इस समस्या के निराकरण के लिए तमाम आटो संगठनों की एक बैठक हो रही है. इस बैठक में ही अपनी भावी रणनीती पर ये लोग विचार करेंगे। प्रति स्टैंड एक रूपया किराया बढ़ाने की इनकी योजना है।
पेट्रोल की कीमतों में वृद्दि को लेकर राज्य में भाजपा और जदयू के खेमों में भी बौखलाहट है। ये लोग इसके लिए पूरी तरह से केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। भाजपा नेता मंगल पांडे इसके लिए केंद्र सरकारी की कर नीति पर उंगली उठा रहे हैं. इनका मानना है कि बाजार को पूरी तरह से नियंत्रण मुक्त करके केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों को मनमानी करने का मौका दे दिया है. यही कारण है कि तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। बढ़ती मंहगाई के खिलाफ लोगों में व्याप्त गुस्सा को देखते हुये भाजपा नेता मंगल पांडे केंद्र सरकार को चेतावनी भी दे रहे हैं कि यदि समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो कुछ भी हो सकता है।
जदयू भी बढ़ती मंहगाई के लिए सीधे यूपीए सरकार पर निशाना साध रही है। जदयू के महासचिव रवींद्र सिंह तो यहां तक कह रहे हैं कि मंहगाई पर नियंत्रण करना केंद्र के बूते के बाहर की बात है. मंहगाई के लिए ये पूरी तरह से कांग्रेस को ही दोषी मान रहे हैं. बिहार के खाद्य आपूर्ति मंत्री श्याम रजक भी महंगाई को लेकर केंद्र की यूपीए सरकार पर भड़क रहे हैं.