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प्रसिद्ध नृत्य निर्देशक देवेश मीरचंदानी की प्रस्तुति को लाइव देखकर रोमांचित हुए पटनावासी

पटना। पिछले कुछ दिनों से विश्व प्रसिद्ध नृत्य निर्देशक, नृत्य प्रशिक्षक देवेश मीरचंदानी द्वारा पटना में एक नृत्य कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जिसमे पटना के सैकड़ों महिला, पुरुष व बच्चों ने हिस्सा लिया था। रविवार को पटना के प्रेमचंद रंगशाला में इसी कार्यशाला के समापन के मौके पर एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। विश्व प्रसिद्ध देवेश मीरचंदानी के प्रस्तुति को लाइव देख पटनावासी खूब रोमांचित थे। कथक नृत्य को विश्व स्तर पर कई बड़े मंच द्वारा प्रसारित करने के अपने अभियान के दौरान देवेश इन दिनों पटना में थे। देवेश को एक खास स्टाइल के नृत्य शैली के लिए जाना जाता है। देवेश ने कथक और बॉलीबुड स्टाइल को मिला कर एक नए स्टाइल की नृत्य शैली इजाद की है जो बॉलीवुड सहित विदेशों में भी खूब प्रचलित है। पटना आये देवेश कहते हैं, यहाँ के लोगो मे गजब का टैलेंट है, लएनर्जी लेवल का कोई जवाब नहीं है। बस जरूरत है सही दिशा में मेहनत करने की। यहाँ के लोग अतिउत्साहित होते हैं और नृत्य की विशेष समझ भी है।

ज्ञात हो कि रॉक एंड रोल पिछले 14 वर्षों से कला के क्षेत्र में हमेशा चर्चित प्रशिक्षक को बुलाकर कार्यशाला करवाते रहते हैं। इस कार्यशाला में बिहार झारखंड यूपी के अलावा बंगाल के सैकड़ों कलाकारों ने भाग लिया और आज उनकी प्रस्तुति काफी आकर्षक है रही।  एक से बढ़कर एक प्रस्तुति कलाकारों के द्वारा की गयी, जिनमें ढोली दा, ताल से ताल मिला, प्रेम रतन धन पायो,मेरे रसके कमर आदि प्रमुख हैं।

गणेश वंदना कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
सबसे पहले कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर एवं विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधारोपण किया गया।   मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह, आईपीएस आलोक राज, दूरदर्शन के डायरेक्टर डॉ. राजकुमार नाहर, वरुण कुमार सिंह, प्रदेश संयोजक कला संस्कृति प्रकोष्ठ भाजपा, कुमार संजीव, मधुकर झा, प्रिंसिपल जी डी गोयनका पब्लिक स्कूल, मनीषा सिन्हा प्रिंसिपल रेडिएंट इंटरनेशनल स्कूल, सत्येंद्र कुमार संगीत लोक गायक की उपस्थिति में कार्यक्रम की शुरुआत की गई। उसके बाद स्वर कोकिला लता मंगेशकर एवं स्वर्गीय के के को रोहित कुमार अक्षत ने गानों के द्वारा एवं पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित किया साथ। ही आलोक राज के द्वारा भी के के को गानों के द्वारा श्रंद्धाजलि भी दी गयी।

 

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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