अमेरिका को खून के आंसू रुलाने वाला लादेन मारा गया

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पाकिस्तान के अबूताबाद में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की खबर है। सीआईए लंबे समय से लादेन की थाह पाने में लगी हुयी थी और लादेन न सिर्फ सीआईए को चकमा देने में कामयाब हो रहा था बल्कि अपने विश्वव्यापी नेटवर्क से दुनिया की तमाम सरकारों को बैकफुट पर भी लाये हुये था। जिस तरह से अमेरिका के टारगेट में लादेन नंबर वन पर था उसी तरह से लादेन के टारगेट में अमेरिका नंबर वन पर था। जूनियर बुश लंबे समय तक लादेन के खात्मे का प्रयास करते रहे लेकिन अमेरिका को यह कामयाबी ओबामा के नेतृत्व में मिली। जब ओबामा ने लादेन  के मारे जाने की घोषणा की तो अमेरिका में खुशी की लहर दौड़ गई। निसंदेह अभी अलकायदा के खेमे में घनघोर निराशा का माहौल होगा। इस्लामिक जगत के एक बड़े खेमे में लादेन अमेरिका विरोधी लहर का प्रतीक बन गया था। यहां तक मां-बाप भी खुशी खुशी अपने बच्चों का नाम लादेन रखने लगे थे।

कहा जा रहा है कि सीआईए की नजर में लादेन पिछले साल अगस्त में ही आ चुका था और तभी से सीआईए उसकी हर गतिविधि पर नजर रखे हुये थी। पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद एक सप्ताह पहले अबूताबाद स्थित लादेन के ठिकाने पर रात में हमला करने की तैयारी की गई और इसे पूरी तरह से गुप्त रखा गया। लादेन के खिलाफ इस अंतिम आपरेशन में सबकुछ तय रणनीती के मुताबिक ही हुआ। कहीं किसी तरह के चूक की कोई गुंजाइश नहीं थी। सीआईए ने इस काम को पेशेवराना अंदाज में अपने मुकाम तक पहुंचाया। अमेरिका ने घोषणा की है कि लादेन के शव को इस्लामिक नियमों के मुताबिक दफनाया जाएगा। अमेरिका यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि वह लादेन के खिलाफ रहा है न कि इस्लाम के।

न्यूयार्क में ट्वीन टावर पर सफल हमले के बाद लादेन अमेरिका का सबसे खतरनाक दुश्मन बन गया था। बदला लेने में अमेरिकियों का कोई सानी नहीं है। सेकेंड वल्ड वार के दौरान पर्ल हार्बर पर जापनी बमबारी के बाद अमेरिकियों ने जापान के दो शहर हिरोसिमा और नागसागी पर एटम बम बरसा कर उन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया था। ट्वीन टावर पर हमले के बाद भी अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जूनियर बुश ने भी अमेरिकियों की भावनाओं का प्रतिनिधत्व करते हुये इस हमले में शामिल लोगों को नहीं बख्शने की बात कही थी। इसके तत्काल बाद अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ अमेरिका की अगुआई में सैनिक कार्रवाई की गई और तालिबानी शासक ओमर को वहां से मार भगाया। उस वक्त लादेन भी ओमर के साथ था। वहां बढ़ रहे अमेरिकी दबाव को देखते हुये लादेन को अपना ठिकाना बदलने पर मजबूर होना पड़ा था। अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले के बाद से ही लादेन को खानाबदोश की तरह यहां से वहां भटकना पड़ रहा था। दुनियाभर की तमाम खुफिया एजेसियां लादेन के पीछे कुत्ते की तरह पड़ी हुई थी।

अब डीएनए टेस्ट के बाद ओबामा के मारे जाने की पुष्टि कर दी गई है। जिस तरह से ओबामा पाकिस्तान में मारा गया है उससे अब पाकिस्तान पर भी सवाल उठने लगे हैं। वैसे यह मानी हुई बात है कि पाकिस्तान लंबे समय से उग्रगामी इस्लामिक चरमपंथियों का चारागाह बना हुआ है। लादने के मरने से अलकायदा पर तो असर पड़ेगा ही। थोड़े बहुत उबाल के बाद इसका नेटवर्क निश्चितरूप से कमजोर होगा। और सबसे बड़ी बात यह है कि लादेनवादियो के खिलाफ अमेरिका का आपरेशन अभी जारी रहेगा। अलकायदा के मुख्य नेता के मारे जाने से वैसे भी अमेरिकियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। दुनियाभर में किसी भी तरह की अनहोनी को लेकर अमेरिका पूरी तरह से सतर्क है।      

  

       

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