गांवों के विकास के बिना देश का विकास असंभव : करन आनंद

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करन आनंद
करन आनंद

राजू बोहरा, नई दिल्ली

फिल्म टीवी व थिएटर अभिनेता करन आनंद का नाम दर्शकों के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है। प्राइवेट चैनल्स से लेकर दूरदर्शन तक के कई चर्चित धारावाहिकों में अलग-अलग तरह के सशक्त किरदार उन्होंने निभाये हैं। जिनकी खासियत यह रही कि वो किरदार कहीं न कहीं आम इंसान से जुड़े रहे हैं। करन आनंद इन दिनों अपने एक नये धारावाहिक ‘‘कभी तो मिल के सब बोलो ” को लेकर चर्चा में हैं। दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैल पर प्राइम टाइम में प्रसारित हो रहे इस धारावाहिक में वह न सिर्फ मुख्य भूमिका निभा रहे हैं बल्कि ग्रामीण पृष्ठभूमि पर बन रहे इस गंभीर धारावाहिक का निर्माण भी वह स्वयं कर रहे हैं।

कई वर्षों तक नादिरा बब्बर के साथ थिएटर कर चुके करन आनंद धारावाहिक “कभी तो मिल के सब बोलो”  के अलावा ‘‘6 दिसम्बर’ और ‘‘रात बाकी’ जैसे तीन नयी फिल्मों में भी अहम भूमिका में जल्द नजर आयेंगे। इस चर्चित अभिनेता से हाल ही मैं दिल्ली में बातचीत की । प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश।

करन जी सबसे पहले आप पाठकों को अपने बारे में बताइये?

मैं मूलरूप से इलाहाबाद उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूं। लम्बे अर्से से बालीवुड में हूं, शुरूआत थिएटर से की, 14-15 सालों से थिएटर से जुड़ा हुआ हूं। थिएटर बैकग्राउंड के चलते ही मुझे फिल्म, सीरियल और ऐड फिल्मों में अच्छा काम करने का मौका मिला। मैंने जी टीवी, सोनी और दूरदर्शन सहित लगभग हर चैनल्स के शो किये हैं। मेरे एक चर्चित नाटक ‘आसाड का एक दिन’ के लिए मुझे बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला है। मैंने बड़े-बड़े प्राडक्टों की लगभग 32 ऐड फिल्में की है जिसमें स्टेट बैंक आफ इंडिया और हीरो साइकिल जैसे प्राडक्ट शामिल हैं। अब फिल्मों और धारावाहिक में अभिनय के साथ उनके निर्माण में भी सक्रिय हो गया हूं।

आपके द्वारा निर्मित धारावाहिक ‘‘कभी तो मिलके सब बोलोइन दिनों दूरदर्शन पर काफी चचित हो रहा है जिसमें आप मुख्य भूमिका रहे है किस तरह का शो है ?

मैं शुरू से ही चुजी किस्म का एक्टर रहा हूं इसीलिए मैं क्वालिटी से ज्यादा क्वालिटी देने में यकिन रखता हूं। मैं ऐसे किरदार निभाने की कोशिश करता हूं जो आम इंसान से जुडे़ हो, जो मनोरंजन के साथ-साथ लोगों को शिक्षित करे, उन्हें जागरूक करे। खासतौर पर ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले लोगों को जो आज भी पूरी तरह से शिक्षित नहीं, जागरूक नही है। ’’कभी तो मिलके सब बोलो’’ भी ऐसा ही ग्रामीण पृष्ठभूमि पर बन रहा सोशल धारावाहिक है जो लोगों को शिक्षित करने, उन्हें जगरूक करने का काम कर रहा है। बतौर निर्माता यह मेरा पहला शो है और हमारी कोशिश है कि हम उन्हें मनोरंजन के साथ-साथ कुछ सामाजिक संदेश दे, उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जगरूक करे। आज सरकार ग्रामीण विकास के लिये ढ़ेर सारी योजनाओं पर रात-दिन काम कर रही है। परन्तु गांव के लोगों को उसका फायदा नहीं हो रहा है।

आज के इस दौर में सरकार की ढ़ेर सारी योजनाओं के बावजूद गांव और के लोगों का विकास पूरी तरह नही हो पा रहा है इसकी वजह आप क्या मानते है ?

इसी सवाल का जवाब आपको हमारें धारावाहिक ’’कभी तो मिल सब बोलो’’ में मिलेगा। आधुनिकता के नाम पर आज गांव का माहौल भी शहरों की तरह फूहड़ता का प्यार्य बनता जा रहा है। लोग पढ़ लिखकर शहरों की ओर भाग रहे है। भष्ट्राचार गांव में अब मुंह बायें खड़ा है। कुछ एक स्वार्थी ग्रामीण राजनीति वाले लोग गांव और गांव के लोगों के बजाय सिर्फ अपना विकास कर रहे है। ऐसे में जरूरत है हम खुद जागरूक हो। मैं भी इलाहाबाद के एक गांव से हूं लंबे समय से बालीवुड में होने के बावजूद अपने गांव से जुड़ा हूं क्योंकि हमारा असली भारत आज भी गांव में ही बसता है। जब तक गांवों का विकास नही होगा तब तक देश का विकास भी पूरी तरह संम्भव नहीं है।

अभिनय से धारावाहिक निर्माण में उतरने की काई खास वजह ?

मैंने आपको पहले ही बताया कि मैं ऐसी ऐसी फिल्मों का धारावाहिक करने में विश्वास करती हूं जो दर्शकों का मनोरंजन करे लेकिन कुछ न कुछ शिक्षित भी करे। मैं दूरदर्शन की आभारी हूं जो मुझे यह मौका दिया जिसके माध्यम से मैं समाज में कुछ अच्छी बातें लोगों के सामने रख सकू ’’कभी तो मिल के सब बोलो’’ का सीधा अर्थ यह है कि आज  इन समस्याओं से हम निजात तभी पा सकते है जब हम सभी मिल कर आवाज उठायें।

धारावाहिक में अर्से बाद आप दो बड़े कलाकारों साधना सिंह और राजेश विवेक को वापस छोटे पर्दे पर लेकर आये है कैसा अनुभव रहा इनके साथ काम करने का ?

दोनों ही बड़े प्रोफेशनल कलाकार है। उनका अपना एक दर्शक वर्ग है साधना जी और राजेश विवेक के साथ काम करके काफी कुछ बतौर अभिनेता सीखने को मिल रहा है। दोनों के किरदार भी धारावाहिक में काफी पावरफुल है।

धारावाहिक के अलावा आपकी कई फिल्मे भी आ रही है उनके बारे में बताइये ?

मेरी जल्द ही तीन फिल्में आ रही है। एक फिल्म है ’’रात बाकी’’ जिसमें के के मेनन और रघुवीर यादव जैसे कलाकारों के साथ मेरी अहम भूमिका है। एक फिल्म है ’’6 दिसंबर’’ जो पहले से काफी चर्चा में है। एक अनाम फिल्म है ’’जिसकी सारी शूटिंग यूरोप में हुई है। तीनो मे मेरी अलग-अलग तरह की चनौतीपूर्ण भूमिका है। इनके अलावा जल्द ही प्राइवेट चैनल का एक शो है।

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