पंचायत चुनाव में गर्म गोस्त का चढ़ावा

0
53

आशुतोष कुमार पांडेय, मुजफ्फरपुर

बिहार में इन दिनों पंचायत चुनाव चल रहा है। चारों ओर चिल्ल -पों मची है। सबलोग मुखिया बनना चाहते हैं। इसके लिए सभी तरह के हंथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जिसमें धनबल और बाहुबल तो आम बात है। क्योंकि मुखिया,सरपंच और पंचायत प्रतिनिधि बनने का फायदा लोगों ने इन पांच सालों में देख लिया है। अब चुनाव जीताउ हथकंडे में एक और हथकंडा शामिल हो गया है। वह है चमड़ी का। समझे नहीं आप। गर्म गोस्त का। अब जो शख्स अपने आपको को वोट मैनेजर कहता है उसे शराब,कबाब के साथ शहर में शबाब की भी व्यवस्था की जा रही है। मात्र तीन दिनों में मुजफ्फरपुर शहर के आवासीय इलाकों में चलने वाले दो सेक्स रैकेट गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इस कांड में जो महिलाएं और पुरुष गिरफ्तार हुए हैं…….उनके बयान काफी चौकाने वाले हैं।

    मंगलवार 27 अप्रैल को नगर थाना के इलाके के बालूघाट में एसएसपी राजेश कुमार के नेतृत्व में छापेमारी की गई। जहां कई पुरूष और महिलाएं आपतिजनक अवस्था में पाए गए। हालांकि पुलिस इन पर देह व्यपार अधिनियम के तहत कार्रवाई कर रही है। वैसे तो मुजफ्फरपुर में एक विश्वप्रसिद्ध बदनाम इलाका है चतुर्भुज स्थान। चतुर्भुज नाम भगवान विष्णु के एक पुराने मंदीर के नाम पर पड़ा है। आज भी वह मंदीर जीर्ण अवस्था में स्थित है।

लेकिन पंचायत चुनाव में बह रहे काले पैसे ने लोगों को ऐसा बउरा दिया है कि शहर के कई मुहल्लों में इस तरह के धंधे शुरु हो चुके हैं। कई इलाके सेक्स रैकेट के लिए सेफ जोन बन चुके हैं। साथ ही मोबाईल से एक फोन करने पर कोई भी प्रत्याशी वोट मैनेज करने वाले को लड़की मुहैया करा दे रहा है।

पंचायत में चुने जाने का लालच विधायक और एमपी से ज्यादा लोगों को लुभा रहा है। बिहार में विधायकों के फंड खत्म हो गए। लेकिन पंचायत स्तर पर बिहार में हुई शिक्षक बहाली और कल्याणकारी योजनाओं में पंचायत प्रतिनिधियों ने भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के सारे मायने बदल दिए हैं। यदि हिम्मत हो नीतीश सरकार को तो जांच कराकर देख ले। कई जिलों में कितने मुखियाओं ने शिक्षक बहाली के नाम पर यौन शोषण किया। पत्नी कहने को मुखिया और पार्षद बन जाती है लेकिन बागडोर पति के हाथ में होता है। यहां तक की महिला जनप्रतिनिधि को फोन किजिए तो फोन भी उनके पति उठाते हैं। एपीएल,बीपीएल,अत्योदय,अन्नपूर्णा,इंदिरा आवास से लेकर बीआरजीएफ तक की सभी योजनाओं में कमीशन खोरी तय है। चारों ओर बस भ्रष्टाचार का बोलबाला है। राज्य के सभी जिलों में पंचायत प्रतिनिधियों का कमोवेश वहीं हाल है। लोग देख रहे हैं कि कल तक जो साइकिल पर घुमता था मुखिया बनते ही स्कार्पियो और बोलेरो पर चढ़ने लगता है।

 पंचायत शब्द पंच से मिलकर बना है। हमें याद है । वह कालजयी कहानी। जिसे प्रेमचंद ने लिखी थी। पंच परमेश्वर।

वह कहानी नहीं थी। एक ऐसा संदेश था जो समाज के उस पहलू को दर्शाता है जहां पंच न्याय शब्द का पर्यायवाची बन जाता है। जुम्मन की दुश्मनी मिट जाती है। इंसाफ की जीत होती है। लेकिन अब इंसाफ या पंचायत जैसी पवित्र संस्था में किसी का यकीन नहीं है अब तो सिर्फ जितना जिसे नोच सको।

  लेखक आशुतोष टीवी पत्रकारिता से जुड़े हैं।

Previous articleMithila paintings, Barheta Chapter
Next articleबेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here