नक्सलियों की जन अदालत जारी है बिहार में

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बच्चा पासवान लोजपा की राज्य कमेटी के सदस्य हैं। उनके पुत्र सम्राट अशोक ने उनके अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अब पता चल रहा है कि बच्चा पासवान का अपहरण नक्सलियों ने किया था। नक्सलियों की खाताबही में उनके खिलाफ कुछ शिकायतें देर्ज थी। उन पर एनटीपीसी के अधिकारियों से नक्सलियों के नाम पर लेवी वसुलने का आरोप था। इसके अलावा एक राजनीतिज्ञ के नाम पर नौकरी दिलाने के लिए कुछ लोगों से उन्होंने पैसे भी ले रखे थे। इसके अलावा रफीगंज के हरिहर पासवान को भी नक्सलियों ने अगवा कर लिया था। ढिवारा के छुछिया दुलारे पहाड़ पर एक जन अदालत लगाकर नक्सलियों ने इनकी खूब पिटाई की। मतलब साफ है नक्सली अपने रास्ते पर निरंतर बढ़ रहे हैं और इनके मजमे में लोगों की भीड़ भी जुट रही है।

बिहार राज्य सरकार द्वारा सुशासन के कार्यक्रम नाम से एक पुस्तिका जारी की गई है। इसमें अगले पांच वर्षों के लिए न्याय के साथ विकास का खाका खींचा गया है। हर क्षेत्र में विकास की बात गई है। खेतों-खलिहानों से लेकर नई-नई तकनीक को प्राथमिकता दी गई है। कानून और व्यवस्था को भी दुरुस्त करने की मंशा भी जताई गई है। लेकिन बिहार में जारी नक्सली फैलाव पर स्पेशल अंटेशन नहीं लिया गया है, जबकि बिहार के कई जिले नक्सलियों के प्रभाव में है।

डी बंदोपाध्याय आयोग के आलोक में बिहार में भूमि सुधार को लेकर भी आंदोलन शुरु हो गया है। बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं भी सड़कों पर उतर आई हैं। आर ब्लाक के पास इस मामले में सभा करके खूब भाषणबाजी भी हुई है। बिहार सरकार इस मामले पर चुप है। बिहार में विकास को ठोस नतीजे तक लाने के लिए इस ओर भी व्यवस्थित तरीके से कदम उठाने की जरूरत है, नहीं तो नक्सलियों को अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने का माहौल मिलता जाएगा। रुट लेवल पर यदि लोगों को रोटी और शिक्षा सही तरीके से लगातार पांच साल तक मिलते जाएगी तो विकास की नींव निश्चिततौर पर मजबूत होती जाएगी। जमीन से संबंधित मामले पेचीदे हैं, लेकिन इन्हें सुलटाने की कोशिश होनी चाहिये।

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सदियों से इंसान बेहतरी की तलाश में आगे बढ़ता जा रहा है, तमाम तंत्रों का निर्माण इस बेहतरी के लिए किया गया है। लेकिन कभी-कभी इंसान के हाथों में केंद्रित तंत्र या तो साध्य बन जाता है या व्यक्तिगत मनोइच्छा की पूर्ति का साधन। आकाशीय लोक और इसके इर्द गिर्द बुनी गई अवधाराणाओं का क्रमश: विकास का उदेश्य इंसान के कारवां को आगे बढ़ाना है। हम ज्ञान और विज्ञान की सभी शाखाओं का इस्तेमाल करते हुये उन कांटों को देखने और चुनने का प्रयास करने जा रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में इंसानियत के पग में चुभती रही है...यकीनन कुछ कांटे तो हम निकाल ही लेंगे।

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