वह अनाथ बच्चा

निर्भय देवयांश

नदी के किनारे बैठा
वह अनाथ बच्चा
भारत के भविष्य को
खोजता है
पानी की तरंगों में,
वह अकेला
रहता है बहुत बड़े घर में
जहां कोई नहीं उसके सिवा
पूछने पर रो-रो कर कहता है
मम्मी- पापा, भाई-बहन
दादा-दादी, पूरे परिवार
मारे गये कल के दंगे में।

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